प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने 2025-26 के खरीफ विपणन सीजन के लिए 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय सरकार की किसानों को उचित मूल्य और फसल सुरक्षा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
MSP क्या होता है?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसलें खरीदती है, भले ही बाजार में उस समय दाम क्या चल रहा हो। इसका उद्देश्य किसानों को उनके उत्पादन की लागत पर लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है।
इस वर्ष MSP बढ़ाने के उद्देश्य
👉 किसानों को बेहतर आमदनी देना
👉 दालों, तिलहनों और पोषक-अनाज (श्री अन्न) की खेती को प्रोत्साहित करना
👉 वर्ष 2018-19 के बजट में घोषित नीति के अनुसार, फसल लागत का 1.5 गुना MSP देना
👉 खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना
इस बार की MSP घोषणा में मुख्य बातें
🔹 14 खरीफ फसलों के लिए MSP बढ़ाया गया
🔹 सबसे अधिक वृद्धि इन फसलों के लिए हुई:
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नाइजरसीड: ₹820/क्विंटल
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रागी: ₹596/क्विंटल
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कपास: ₹589/क्विंटल
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तिल (सेसमम): ₹579/क्विंटल
🔹 सभी फसलों के लिए MSP, उत्पादन लागत का कम से कम 50% अधिक रखा गया है
🔹 MSP निर्धारण में इन लागतों को शामिल किया गया:
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बीज, खाद, सिंचाई
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श्रमिक लागत (किराए पर या पारिवारिक)
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मशीनरी/पंप/डीजल
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खेत किराया, पूंजी पर ब्याज आदि
MSP 2025-26 का फसलवार सारांश
फसल | 2024-25 का MSP (₹) | 2025-26 का MSP (₹) | वृद्धि (₹) | लागत पर लाभ (%) |
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धान (साधारण) | 2300 | 2369 | 69 | 50% |
ज्वार (हाइब्रिड) | 3371 | 3699 | 328 | 50% |
बाजरा | 2625 | 2775 | 150 | 63% |
मक्का | 2225 | 2400 | 175 | 59% |
रागी | 4290 | 4886 | 596 | 50% |
तूर (अरहर) | 7550 | 8000 | 450 | 59% |
मूंग | 8682 | 8768 | 86 | 50% |
उड़द | 7400 | 7800 | 400 | 53% |
मूंगफली | 6783 | 7263 | 480 | 50% |
सूरजमुखी | 7280 | 7721 | 441 | 50% |
सोयाबीन (पीला) | 4892 | 5328 | 436 | 50% |
तिल (सेसमम) | 9267 | 9846 | 579 | 50% |
नाइजरसीड | 8717 | 9537 | 820 | 50% |
कपास (मीडियम) | 7121 | 7710 | 589 | 50% |
📌 *कुछ फसलों की लागत की अलग से गणना नहीं की जाती जैसे ग्रेड A धान, लंबी कपास और मालदांडी ज्वार।
फोकस – वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा
सरकार अब केवल गेहूं या धान पर निर्भरता नहीं चाहती। इसलिए दालें, तिलहन और श्री अन्न (पोषक-अनाज) की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
🔹 इससे पोषण सुरक्षा भी बढ़ेगी
🔹 कम पानी और उर्वरक में उच्च उत्पादन
🔹 मृदा की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद
सरकार की ओर से बयान
“MSP वृद्धि का उद्देश्य किसानों को लाभकारी मूल्य देना और देश की पोषण व कृषि नीति में संतुलन लाना है। नाइजरसीड, रागी और तिल जैसी फसलों को प्राथमिकता दी जा रही है।” – कैबिनेट का बयान, PIB दिल्ली
पिछले वर्षों में MSP का प्रभाव
अवधि | धान खरीद (LMT) | MSP भुगतान (₹ लाख करोड़) |
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2004-14 | 4590 | ₹4.44 लाख करोड़ |
2014-24 | 7608 | ₹14.16 लाख करोड़ |
अवधि | 14 फसलों की खरीद (LMT) | MSP भुगतान (₹ लाख करोड़) |
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2004-14 | 4679 | ₹4.75 लाख करोड़ |
2014-24 | 7871 | ₹16.35 लाख करोड़ |
🔹 MSP भुगतान और खरीद में 3 से 4 गुना वृद्धि दर्शाती है कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रही है।
MSP बढ़ने से किसानों को कैसे फायदा होगा?
✅ लागत से अधिक मूल्य मिलने से ऋण बोझ कम होगा
✅ बेहतर आय से बेहतर बीज, उपकरण और तकनीक खरीद सकेंगे
✅ ग्रामीण मांग बढ़ेगी, जिससे संपूर्ण अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा
✅ किसानों का सरकारी नीति में विश्वास मजबूत होगा
ध्यान देने योग्य बातें
🛑 MSP की घोषणा पर्याप्त नहीं है, क्रियान्वयन भी जरूरी है
🛑 कई बार किसान MSP का लाभ नहीं उठा पाते क्योंकि:
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उन्हें MSP की जानकारी नहीं होती
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खरीद केंद्र सीमित होते हैं
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बिचौलियों की भूमिका ज्यादा होती है
👉 ऐसे में सरकार को ज़रूरी कदम उठाने होंगे जैसे:
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सभी किसानों का डिजिटल रजिस्ट्रेशन
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हर गाँव/ब्लॉक में खरीद केंद्र
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भंडारण, कोल्ड स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट सिस्टम का विकास